तारापुर: कुडण गांव के तालाब में हजारों मछलियां मृत, प्रदूषण को लेकर उठ रहे सवाल


चौंकाने वाली बात यह है कि इस क्षेत्र में कोई औद्योगिक सांडपानी सीधे तालाब में नहीं छोड़ा जाता, फिर भी इतनी बड़ी संख्या में मछलियों की मौत कैसे हुई, यह अब तक रहस्य बना हुआ है। महाराष्ट्र प्रदूषण नियंत्रण मंडल (MPCB) के तारापुर कार्यालय से अधिकारियों की टीम मौके पर पहुंची और पानी व मृत मछलियों के नमूने इकट्ठा कर जांच के लिए भेज दिए।
फिलहाल प्राथमिक जांच में अनुमान लगाया जा रहा है कि भीषण गर्मी के कारण पानी में घुले हुए ऑक्सीजन (डिसॉल्व्ड ऑक्सीजन) की मात्रा कम हो गई होगी, जिससे मछलियों की मौत हुई होगी। हालांकि, स्थानीय लोगों और पर्यावरण विशेषज्ञों के बीच इस घटना को लेकर कई तरह की चर्चाएं हो रही हैं।

इस घटना को लेकर क्षेत्र में अलग-अलग तर्क दिए जा रहे हैं। पिछले कुछ महीनों से तारापुर औद्योगिक क्षेत्र के आसपास के इलाकों में विभिन्न कारखानों द्वारा खतरनाक रसायन छोड़े जाने की घटनाएं सामने आई थीं। इसके अलावा, कुछ महीनों से एन जोन स्थित एक कारखाने से हाई COD (केमिकल ऑक्सीजन डिमांड) युक्त रासायनिक सांडपानी टैंकर के माध्यम से छोड़े जाने की भी चर्चा है। कई स्थानीय लोगों का मानना है कि इसी वजह से तालाब का पानी दूषित हुआ होगा, जिससे मछलियों की मौत हो गई।
राजस्व विभाग और पर्यावरण विशेषज्ञों ने घटनास्थल का दौरा किया है और इस मामले में गहराई से जांच की जा रही है। स्थानीय लोग प्रशासन से इस घटना की सच्चाई जल्द से जल्द सामने लाने की मांग कर रहे हैं ताकि भविष्य में ऐसी घटनाओं को रोका जा सके।
अब इस बात पर निगाहें टिकी हैं कि प्रदूषण नियंत्रण मंडल की रिपोर्ट में क्या सामने आता है और प्रशासन इस मामले में क्या कार्रवाई करता है।